Be What You Wish Book Summary in Hindi
इमैजिनेशन नॉलेज से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है नॉलेज तो सिर्फ हम क्या जानते हैं और क्या समझते हैं, सिर्फ उसके बारे में है लेकिन इमैजिनेशन पॉसिबिलिटी के बारे में है। इमैजिनेशन के साथ हम वो देख सकते हैं जो अभी नहीं है और वो क्रीएट कर सकते हैं, जो कभी नहीं था। एलेन डीजेनरेस एक अमेरिकन कमिटी इन ऐक्टर्स, टीवी होस्ट और प्रोड्यूसर हैं। वो अपने टॉक शो द एलेन डीजेनरेस शो के लिए सबसे ज्यादा फेमस है जिसे 61 डे टाइम एमी अवार्ड्स मिले हैं और ये 20 से ज्यादा सालों से ओनर है। के साथ एक इंटरव्यू में एलन ने अपने सपनों की जॉब को मैनिफेस्ट करने के तरीके के बारे में कहानी शेयर की। जब एलन छोटी थी तब एक टॉक शो होस्ट बनना चाहती थी। वो ऐसे ही मिरर के सामने बैठकर अपनी फेवरेट सेलिब्रिटीज़ का इंटरव्यू लेती थी। 1 दिन है ने अपनी सपनों की जॉब को कागज पर लिखने का फैसला किया। उन्होंने लिखा, मैं एक टॉक शो होस्ट बनना चाहती हूँ। फिर उन्होंने कागज को अपने मैट्रिक्स के नीचे रख दिया लेने अपने सपने पर पूरा ध्यान दिया। वो स्टैंड अप कॉमेडी करने लगी और फिर उन्हें सिटकॉम रोशन में एक रोल मिला। टॉक शो होस्ट बनने में अपने सपनों को अचीव करने में हेल्प की। 1994 में उन्होंने अपना खुद का टॉक शो दी। एलेन डीजेनरेस शो लॉन्च किया एलन की कहानी एक रिमाइंडर है कि मैनिफेस्टो शनरी अल है। जब हम अपने थॉट्स और एनर्जी कोशिश पर फोकस करते हैं, जिसे हम अचीव करना चाहते हैं तो हम उसे अपनी जिंदगी में ला सकते हैं। इसी को डिटेल में समझने के लिए आज हम व्हाट यू विश बुक के बारे में बात करने वाले हैं, जिसे नेवल गोडार्ड ने लिखा है। ऑथर नेवल गोडार्ड कहते हैं, यह मेरा विश्वास है कि सभी लोग अपने ज़िंदगी की दिशा बदल सकते हैं। हमारी इमैजिनेशन के साथ हमारी फॉर्मेशन के साथ हम अपनी दुनिया को बदल सकते हैं, अपने फ्यूचर को बदल सकते हैं। वो कहते हैं कि अगर हम एक्सिलेन्स को चाहते हैं तो उसे जरूर पा सकते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इमैजिनेशन केस क्रिएटिव पावर से अनजान होते हैं और फैक्ट के गुलाम बनके लाइफ को उसके मुताबिक जीने लगे रहते हैं। लेकिन जब आप क्रिएटिव फोर्स को अपने अंदर डिस कवर करते हैं तब आप वो बनते हैं, जॉब बनना चाहते हैं हमें इमैजिनेशन में वो एक्सपिरियंस करना चाहिए, जो सच में गोल को हासिल करके हम महसूस करने वाले हैं, क्योंकि ऐसा करने से हमारी सोल इमेजिन एक्शन्स को ड्जिरे बल सिचुएशन में रख पाती है। लेकिन अगर कोई अपने आप को मनचाही सिचुएशन में इमेजिन ही ना करे तो वो अपने मनचाहे गोल से हमेशा दूर रहेगा। इस टीचिंग का मकसद हमें कॉन्शसनेस के हाइअर स्टेट में ले जाने का है। इसमें आने से हम ज्यादा सेल्फ कॉन्फिडेन्स फील्ड करते हैं। इसलिए ऑथर कहते हैं कि ग्रोथ की तरफ पहला वर्ड राइस हैं। यानी की उठो। अगर हम उठते है तो इस बात को समझने लगते हैं कि हमारे अंदर की दुनिया या मन यूनिवर्स का एक इम्पोर्टेन्ट हिस्सा है और इस तरह इंसान यूनिवर्स का पार्ट हैं। यूनिवर्स की जञ्जीर की एक कड़ी की तरह है। जैसे जैसे हम अपने बारे में ज्यादा अवेर होने लगते हैं, वैसे वैसे हमारी भारी दुनिया भी क्रू होने लगती है। इस तरह अपने थॉट्स फीलिंग्स और गोल्स के बारे में क्लिअर रहने वाले की प्रेअर एक्सेप्ट की जाती है। अपनी आज की कंडीशन को बदलने के लिए हमें अपने कॉन्शस लेवल को ऊंचे से ऊंचा उठाना चाहिए और ये ग्रोथ इस तरह से महसूस करने से होती है कि मेरे पास वो सब कुछ पहले से ही मौजूद है जो मैं चाहता हूँ। मतलब विश पूरी होने की फीलिंग।
आज की कंडीशन को बदलने के लिए हमें कॉन्सियसनेस के हाइएस्ट लेवल तक उठना होगा, क्योंकि सब कुछ हमारा अपने लिए बिहेव्यर पर डिपेंड करता है। इसलिए अपनी लाइफ में जो हम सच होने में विश्वास करते हैं वो रील लाइफ में भी होता है। कॉन्सियसनेस के हाइअर लेवल तक घुटने के लिए हमें अपना पैशन डेवलप करना जरूरी है। रिऐलिटी में एक शांत इंसान का अपने मूड पर पूरा कंट्रोल होता है और वो जानते है की सेल्फ थॉट्स फीलिंग्स और सिर्फ टॉकिंग सबसे जरूरी है। हम अपने आप में जीस आइडल इंसान को देखते हैं और बनाना चाहते हैं वो रियल लाइफ में आने के लिए तैयार है, लेकिन अगर हम वैसा बनने के लिए जरूरी थॉट्स, फीलिंग्स और एक्शन्स नहीं लेंगे तो शायद हम रिऐलिटी में अपनी आइडल ना बन पाए। इसलिए खुद पर अपने गोल अचीव करने के लिए विश्वास करके इस तरह सोचना की गोल चाहे कितना भी अनरियलिस्टिक लग रहा हो लेकिन यह रियल है और मैं इस एरियल बना के रहूँगा। सेल्फ कंट्रोल लोग ऐसा ही करते है। वो खुद को और दूसरों को सिर्फ ऐसे देखने की बजाय जैसे वो है। वैसे देखते है जैसे वो चाहते हैं वैसा ही सुनने पर फोकस करते है जो अपने गोल को पूरा करने के लिए सुनना चाहते है। वो सिर्फ अच्छा देखते हैं और सुनते हैं क्योंकि वो सच को जानते हैं कि कुछ भी पॉसिबल नहीं है। जैसा मैं इमैजिनेशन में दुनिया को देखते हैं। असली में यह वही है फैक्ट नहीं, बल्कि इमैजिनेशन हमारी लाइफ को शेप देती है। ये ऐक्टिव माइंड है, जिसे दुनिया में रहता है, जिससे इमैजिनेशन कंट्रोल कर सकती है। इमैजिनेशन वो फीलिंग है जिसके जरिए हम नॉन एग्ज़िस्टिंग चीजों को देखते हैं। वो पावर जिसके जरिए हम अपने विजनरी दुनिया को रिलेक्स डिस्टैन्स मिलाते हैं। इंसान की ग्रोथ का हर कदम पहली इमैजिनेशन के कदम से शुरू होता है। क्या आपने विक्टर फ्रेंकली के बारे में सुना है? वही फेमस ऑथर जिन्होंने मेन सर्च फॉर मीनिंग बुक लिखी है, विक्टर फ्रेंकली जैविक साइकैट्रिस्ट थे जो होलोकॉस्ट से बच गए थे, उन्हें नाज़ी कॉन्सन्ट्रेशन कैंप में 3 साल के लिए जेल में रखा गया था। जहाँ उन्होंने ह्यूमन कैटी के सबसे ज्यादा हो रही फ़ैक्ट्स देखें और एक्सपिरियंस के उन्होंने जीतने भी हॉरर एक्सपिरियंस किए। फिर भी फ्रैंकल ने कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने अपनी इमैजिनेशन का यूज़ अपने लिए एक बेटर रिऐलिटी क्रिएट करने के लिए किया। उन्होंने खुद को लेक्चर देते और अपने एक्सपिरियंस के बारे में बुक्स में लिखते हुए इमेजिन किया। उन्होंने खुद को अपनी वाइफ और फैमिली के साथ रीयूनियन करते हुए इमेजिन किया। फ्रैंकल की इमैजिनेशन ने उन्हें से बचने में हेल्प की। इसने उन्हें उनकी लाइफ में वोर के बाद मिनी और पर्पस ढूंढने में भी हेल्प की। वो एक वर्ल्ड नं साइकैट्रिस्ट और ऑथर बन गए। उनकी बुक मेन सर्च फॉर मीनिंग होलोकॉस्ट लिटरेचर का एक क्लासिक है फैन।
कल की कहानी एक रिमाइंडर है कि इमैजिनेशन की पावर हमें हर मुश्किल से बाहर निकालने में हमारी हेल्प कर सकती है, चाहे हालात कितनी भी डार्क क्यों ना हो। इससे हमे लाइफ में मिनी और पर्पस ढूंढने में हेल्प मिलती है। सिर्फ इमैजिनेशन ही इंटेन्शन को पूरा करने का तरीका है, क्योंकि जो इंसान अपनी इमैजिनेशन में अपनी मनचाही खुशी को महसूस कर सकता है, वो हर मनचाही चीज़ के बारे में सोच सकता है, महसूस कर सकता है और हासिल कर सकता है। वो जानता है कि इमैजिनेशन के जरिए वो अपने आप को अकेले से शुरू करके हजारों लोगों की टीम भी बना सकता है। रिऐलिटी को देखें तो इमैजिनेशन के जरिए हम सभी अपने फीचर को अपने आप से बना रहे हैं, चाहे वो अच्छा हो या बुरा हो या नॉर्मल हो। इमैजिनेशन में ऑब्जेक्टिव परसेप्शन की सारी पावर्स होती है। खुशी से लेकर गम तक और यहाँ तक कि अच्छी लाइफ स्टाइल से लेकर भयानक डेथ तक इमैजिनेशन से हम वो बनते हैं जो बनना चाहते हैं। इसलिए अपने आप से आज ही कमिट करे की वही चाहे और इमेजिन करें, जो सच में होते हुए देखना चाहते हैं। एक पावरफुल टूल है जो हमें चैलेंज से ओवर कम कर रहे हैं। शांति पाने और अपने गोल्स अचीव करने में हेल्प कर सकती है। अच्छा एक बात बताओ क्या आपको कभी किसी प्रहर का जवाब मिला है? इंसान हार नहीं मानते। जब वो प्रेयर करते हैं तो वो मानते हैं कि कुछ जरूर होगा। इसलिए यह समझना जरूरी है कि क्यों कुछ प्लेयर्स का जवाब दिया जाता है जबकि कुछ का नहीं दिया जाता। जब आप प्रेर करें तो वो पानी में विश्वास करें जो आप चाहते हैं। ऐसा करने से आप उसे हासिल जरूर करेंगे। विश्वास ही है जो आप पहले हासिल करते हैं। हमारे सवालों का जवाब तब तक हमें नहीं दिया जाता जब तक हम यह विश्वास ना करें कि उनका जवाब दिया जाएगा। पूरी दुनिया कुछ रोज़ और प्रिन्सिपल से बनी है। फिर भी कई लोग प्रेअर और उसके जवाब के बीच कोई रिलेशन नहीं देख पाते। उन्हें लगता है कि भगवान हमारी प्रियंका जवाब हमेशा दे सकते हैं, लेकिन दिमाग अभी ये मानने को तैयार नहीं होता कि भगवान ने इस दुनिया के कुछ रूल्स बनाए हैं और हर चीज़ रूल के हिसाब से काम करती है। इसलिए सच को अपनाना चाहिए की प्रेअर और उसके जवाब के बीच एक कॉज रिफ्लेक्ट का रूल काम करता है। हम जो चाहते हैं उसकी तरफ मन का लगाव भी प्रेर है। रोत का पहला वर्ड हमेशा अवेर्नेस होता है, इसलिए आप जो चाहते हैं उसकी तरफ मन को हमेशा ऊपर उठाएं, फील करें। अगर आप की प्रेयर का जवाब मिल जाए तो आपको कैसा लगेगा? और इस फीलिंग पर तब तक फ़ोकस करें, जब तक कि इमेजिन ना करने लगे कि प्रेअर का जवाब मिलने के बाद आप अच्छा फील करने वाले हैं।
मैं रिटेंशन किसी जगह पर पहुंचने के बारे में नहीं है, यह वही पर होने के बारे में है। ऑथर कहते हैं कि बहुत से लोग मुझे कहते हैं कि वह मेडिटेशन नहीं कर सकते, लेकिन कुछ वक्त ट्राई करने के बाद वह पियानो बजाने लगते हैं। मेडिटेशन भी एक तरह की आर्ट की तरह ही है जिसमें अच्छे रिज़ल्ट पाने के लिए प्रैक्टिस की जरूरत होती है। एग्जाम्पल के लिए पियानो बजाने वाले को लगता है कि अगर वो 1 दिन की प्रैक्टिस को भी मिस कर देता है तो शो में बेस्ट परफॉर्मेंस करना मुश्किल हो सकता है। अगर एक महीना प्रैक्टिस नहीं कर पाया तो जूनियर भी उससे आगे निकल सकते हैं। ये सब मेडिटेशन के साथ भी सच है। डेली से हैबिट को खुशी से प्रैक्टिस करते हैं तो इसे एक अच्छी आर्ट की तरह डेवलप कर सकते हैं। डिक्शनरी ज़मीं रिटेंशन को फोकस की तरह डिफाइन करती हैं। मेडिटेशन का मीनिंगफुल तरीका एक कंट्रोल इमैजिनेशन है। इसके लिए एक स्पेसिफिक थॉट पर तब तक ध्यान दें, जब तक कि वो मन को पूरी तरह से भरना दें और कॉन्शन्स से दूसरे अननेसेसरी थॉट्स को बाहर ना कर दे। अगर ध्यान भटकता है तो उस थॉट पर दोबारा वापस आए और ऐसा बार बार करें जब तक मेरे ऑडिशन मनचाहे थॉट पर फिक्स ना हो जाए। मैडिटेशन में प्रेअर की तरह ही साइलेंट जरूरी है। इसलिए मैं रिटेंशन के टाइम साइलेंस बनाए रखें, क्योंकि वही सबसे बड़े राज़ छुपे होते हैं। मेडिटेशन के टाइम हम अपने सबकॉन्शियस में इंटर होते हैं इसलिए जब आप मेडिटेशन करें तो भगवान से वो सब कुछ मांगे जो आप चाहते हैं और वो देंगे की तरह है जो बाहरी दुनिया के इफेक्ट को कम करता है और मन के इंटरनल पॉज़िटिव थॉट्स को बढ़ावा देता है और मेडिटेशन में की कंडीशन में आने लगता है।
लॉ ऑफ जमशेदपुर था है कि जो भी आप सच मान लेते हैं यानी की अस्यूम कर लेते है, वो आपकी रीऐलिटी बन जाती है। बताते हैं कि दो लीडिंग यूनिवर्सिटीज़ में रीसेंट्ली असम्प्शन पर किए गए एक्सपेरिमेंट के बारे में इस बड़े सच के बारे में पता चला कि जब आप किसी चीज़ को देखते हैं तो वह क्या है, उस पर डिपेंड नहीं करता, बल्कि यह इस बात पर डिपेंड करता है कि आप उसे क्या देखना चाहते हैं और उसके बारे में क्या आइडिया लगाते हैं, जिससे आप फिजिकल वर्ल्ड में सच मानते हैं। वो रिऐलिटी में एक रिसेप्टिव वर्ड है। किसी चीज़ से आपका स्पेशल रिलेशन उस चीज़ के रिलेशन में आपकी फीलिंग्स को करता है। ज्यादातर लोग बाहरी दुनिया के रिऐलिटी में विश्वास करते हैं क्योंकि वो सीक्रेट को नहीं जानते कि आउटर वर्ल्ड भगवान और हमारी नर पाँवर का ही रिज़ल्ट है। इसके लिए माइंड और उसके इफेक्ट को समझना चाहिए और सिर्फ हमें उस कंडीशन पर फोकस करना चाहिए जो हम डिजायरेबल से नस में देखना चाहते हैं। जब हमारी डिज़ाइनर्स रिऐलिटी की तरफ बढ़ने लगती है, जब इसे हासिल करने के लिए थॉट्स नैचुरली प्रोड्यूस होने लगती है तो हमे अपनी लाइफ में मनचाही कंडिशन को सच बनाने का मौका मिल जाता है। इसलिए हर किसी को अपने मेडिटेशन के दौरान करने हैं और मनचाही कंडीशन पर फोकस करने के लिए अपनी कपैसिटी के अकॉर्डिंग सब से बेस्ट प्रैक्टिस ढूंढनी चाहिए। ऑथर कहते हैं, मैं अपने आप को सबसे अच्छी कंडिशन में तब पाता हूँ जब मैं रिटेंशन की कंडीशन में होता हूँ, क्योंकि ये कैसी कंडीशन है जिसमें मैं नैचुरली अपनी इमैजिनेशन को कंट्रोल करता हूँ और मेंटल डिज़ाइनर पर अपना फोकस करने में कैपेबल होता हूँ। इसलिए आज ही अपने हाइएस्ट आइडल को डिफाइन करे और अपना ध्यान उस आइडल पर तब तक फोकस करके रखें जब तक कि आप उनके साथ अपनी पहचान नहीं बना लेते। उनके होने की फीलिंग्स को मान ले। उन्हें अपनी दुनिया में शामिल करते हुए अपनी जिंदा करें को मानना और उसका होना सबसे पहली कंडीशन है। इसलिए जो अपने आप को बनाने के डिज़ाइनर करते हैं, वो बन सकते हैं। जरूरत है तो बस विश्वास करने की। उसके लिए सब कुछ पॉसिबल है जो विश्वास करते हैं। क्योंकि विश्वास उन चीजों और मान्यताओं का सार है जो अभी तक देखी नहीं गई है। फीलिंग सक्सेसफुल प्रेयर का सीक्रेट है क्योंकि प्रेअर में हम अपने आप को आन्सर की गई प्रेअर की सिचुएशन को महसूस करते हैं और फिर उस पर काम करते हैं। मैं जेनरेशन के सभी तरीकों में फीलिंग के एलिमेंट शामिल हैं। सभी इमोशनल कंडिशन्स जेनरेशन को इफेक्ट करती है। फीलिंग्स और इमैजिनेशन वो सेन्स है जिसके थ्रू हम बहुत दूर की चीजों को भी फील कर सकते हैं। इंसान की हर बेटर फीलिंग उसके लिए खूबसूरत दुनिया के किसी ने किसी गेट का इन्नोवेशन है, इसलिए आइए हम लोगों को उनकी आउटर लाइफ स्टाइल की ऊंचाइयों से नहीं, बल्कि उनकी इमैजिनेशन और फीलिंग की ब्यूटी से मेजर करें तो दोस्तों, इस वीडियो में हमने इमैजिनेशन और फॉर्मेशन के बारे में जाना। इनका इस्तेमाल करके आप अपनी लाइफ की प्रॉब्लम को सॉल्व कर सकते हैं और अपनी आज की लाइफ को ड्जिरे बल लाइफ की तरफ ट्रांसफॉर्म कर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि आपने कही इम्पोर्टेन्ट लाइसेंस सीखे होंगे। अब उन्हें अपनी लाइफ में अप्लाई करना शुरू करें और अपने इंटरनल और आउटर दुनिया के डाइरे बल टारगेट हासिल करें।
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