The Power of Subconscious Mind Book Summary in Hindi
Subconscious Mind | अपनी बॉडी को एक घर की तरह देखिये जो कि सुन्दर होनी चाहिए और बेहतर होनी चाहिए। जब हम अपनी बॉडी को देखते हैं तो चेहरे और ज्यादा से ज्यादा बालों से आगे नहीं देख पाते, जिसे हमारे एग्जाम्पल से बताया जाए तो मान लीजिए कि नीले लोग हेल्थी नहीं होते और रेड लोग हेल्थी होते हैं। हमारा सबकॉन्शियस माइंड एक तालाब है। हर पॉज़िटिव थॉट इसमें एक लाल पानी की ड्रॉप को छोड़ता है और हर नेगेटिव थॉट नीली ड्रॉप को इस तरह से हमारा तालाब नीला होगा या लाल, ये हमारे थॉट्स पर डिपेंड करता है। लेकिन इस बात का क्रक्स यह है कि ये नीली या लाल ड्रॉप बाद में सब कॉन्शस से हमारी बॉडी तो और आप ऑब्ज़रव कर ली जाती है और हम नीले या लाल बन जाते हैं जैसे बच्चन मैं आपने ये कहानी पढ़ी होगी जिसमें एक डूबते हुए बिच्छू को साधु बचाने जाता है और जितनी बार वो बचाने जाते हैं उतनी बार बिच्छू ने डंक मार देता है। बिच्छू की आदत थी डंक मारना और साधु की आदत थी बचाना। दोनों ही अपनी आदत से मजबूर थे। उसी तरह हम भी है और हमारी आदतों का पूरा किया धरा हमारी बॉडी में नजर आता है। यू हैव द पावर टू चूज सो चूज हेल्थ एंड हैपिनेस यानी की आपके पास चुनने की पावर है। इसलिए हेल्थ और खुशी को चुनें। लेकिन यह चुनाव होगा कहाँ? पर पावर ऑफ योर सबकॉन्शियस माइंड बुक कहती हैं कि यह चुनाव हम अपने मन में करते हैं। मन यानी की सबकॉन्शियस माइंड में यानी की आप हेल्दी रहेंगे या नहीं, यह चुनाव आपने अपने मन में कर लिया है, आप सोच रहे होंगे। ऐसे में ये फिजिकल हेल्थ और ह्यूमन बॉडी को हील करने वाले सेगमेंट की बेस्ट बुक कैसे बन सकती है? लेकिन इस वीडियो के एंड तक आप इस किताब में लिखी गई थी। इसको भी समझ लेंगे और ये भी जान जाएंगे कि कैसे आपका सबकॉन्शियस माइंड और आपकी हेल्थ नदी के दो किनारे की तरह के साथ चलते हैं। आप एक भी किनारे को छोड़ नहीं सकते। अगर आप इस आर्टिकल के में एंड तक बने रहते हैं तो दोनों में से कोई भी किनारा आपसे छोटे नहीं वाला है। लेकिन उसके लिए आपको यह समझना होगा कि कैसे हमारा सब कॉन्शस माइंड हमारी फिजिकल हेल्थ को डिसाइड करता है। ये जानने के लिए आप लाइफ के दो तरह के मूवमेंट को याद कीजिए। एक हाई और एक लो हाई मूवमेंटस पर भले ही आप कितने भी थके हुए क्यों ना हो, आपको अपनी बॉडी में अलग जी महसूस होती है और लोग मूवमेंटस पर आपको सुबह उठकर भी ऐसा लगता है जैसे बॉडी में जान ही नहीं है। ये हाई और लो मोमेंट्स किसी भी रीज़न से आ सकते हैं। अच्छे रिज़ल्ट से लेकर फेल्यर तक चाहे कारण कुछ भी हो लेकिन इन दोनों ही केसेस में आपकी बॉडी बीमार नहीं थी। लेकिन एक में आपको ऐसा लगा जैसे आप कितनी सारी बीमारियों से घिरे हुए हैं और एक में आपको ऐसा लगा कि आपके अंदर अचानक से बहुत सारी एनर्जी आ गई है। यह तो बहुत छोटा सा एग्जाम पल है। अगर आप अपनी पूरी लाइफ को उठाकर देखें तो आपको नजर आएगा कि कैसे जब आपके मन में हार मानने की कोशिश की तो आपका मन हार गया और कैसे जब आपने सोचा की आप थोड़ी सी जान और लगाकर मेहनत करेंगे तो आपने बॉडी के उस लेवल को पार कर लिया जिसके बारे में आपने सोचा भी नहीं था। सुबह उठने के टाइम से लेकर हमारे वॉक करने की स्पीड तक बॉडी की हर ऐक्टिविटी सब कॉन्शस से ही डिसाइड होती है। आप इस बात को अब तक समझ चूके होंगे। इसलिए अब ये जान लेते हैं कि आप कैसे अपने सबकॉन्शियस माइंड की हेल्प से इन ऐक्टिविटीज़ को अपनी इच्छा के अकॉर्डिंग बदलने वाले हैं या बेहतर करने वाले हैं और यकीन मानिए आपका इस बात को जानना बेहद जरूरी है क्योंकि जीस तरह की दुनिया बन चुकी है। उसमें हम बीमारियों के बारूद पर पैर रखकर बैठे हैं। एक रिसर्च के अकॉर्डिंग इस दुनिया में तकरीबन 300,00,00,000 लोग ऐसे हैं जिनकी बॉडी में बड़ी बीमारियां पल रही है और उन्हें अगले एक से 2 साल में इसके बारे में पता चलने वाला है। खैर, इसका मकसद आपको डराना नहीं है, बल्कि आपको यह याद दिलाना है कि अपनी बॉडी की हेल्थ को आप किसी इवेंट की तरह पोस्टपोन नहीं कर सकते।
आपको इसे एक जिम्मेदारी की तरह निभाना होगा ताकि सही टाइम पर या आपके काम आ सके और इस जिम्मेदारी मैं आपकी हेल्प करेगा। आपका सब कॉन्शस माइंड कैसे? आइए जानते हैं। पावर ऑफ ये सब कॉन्शस माइंड के अकॉर्डिंग हमारी लाइफ तीन स्टेज इसमें चलती है। नंबर वन थॉट नंबर टू ऐक्शन और नंबर थ्री हैबिट्स पहले थॉट्स आते हैं। फिर वो ऐक्शन में बदलते हैं और ऐक्शन आदत में हम सब कॉन्शस और हेल्थ के रिलेशन को इन्हीं तीन स्टेजेस के जरिए समझेंगे और उसके बाद आप के लिए अपनी बॉडी को हील करना आसान हो जाएगा। तो सबसे पहली और सबसे इम्पोर्टेन्ट स्टेज है थॉट यानी की हमारे विचार। कहा जाता है कि यू बिकम वॉट यू थिंक यानी की आप जो सोचते हैं वो बन जाते हैं। अब इसका मतलब यह नहीं है कि अगर आप सोचें कि मैं फिट हूँ तो आपकी बॉडी अचानक से फिट हो जाएगी। लेकिन अगर आप सोचें कि आप फिट बनना चाहते हैं तो जरूर आपका मन यानी की सब कॉन्शस उन मोमेंट्स पर आपको टोकेगा जब आप अपने खोल से दूर जा रहे थे। यानी की अगर आपको अपनी लाइफ में कुछ भी बदलाव लाना है, तो वो सबसे पहले थॉट्स के जरिए होगा। जब आप अपनी बॉडी को हील करने की बात करते हैं तो सबसे जरूरी ये होता है कि आप अपनी बॉडी को कैसे आइडियल आइस कर रहे हैं और यह आप सब कॉन्शस ली डिसाइड करते है। जैसे जो लोग मोटापे की तरफ बढ़ते हैं वो शुरुआत के कुछ सालों में तो इस बात को नकारने की कोशिश करते हैं। कि उनका वजन बढ़ रहा है लेकिन बाद के सालों में वो इस चीज़ को एक्सेप्ट कर लेते हैं कि उनका वजन बहुत बढ़ रहा है और वो इस बारे में कुछ भी नहीं कर सकते। सब कॉन्शस ली उनकी आइडल बॉडी अब यही है, लेकिन आपको सबसे पहले ये समझना होगा कि आप जो भी कुछ सबकॉन्शियस लिए एक्सेप्ट कर चूके हैं, आप उससे कई गुना बेहतर है। जब हम कहते हैं कि खुद को ऐसे एक्सेप्ट करिए जैसे कि आप है, तो उस टाइम हम खुद को पर्सनैलिटी की तरफ धकेल रहे होते है। अगर आपका वजन ज्यादा है या फिर आपका स्लिप साइकल बिगड़ चुका है या फिर आपको लगता है कि आपकी बॉडी बेहतर कामों के लिए जैसे दौड़ना, खेलना इन सब के लिए ठीक नहीं है या फिर आपको लगता है कि आप बहुत ज्यादा बीमार पड़ते हैं, तो ऐसे में यह सब कुछ आप एक्सेप्ट कैसे कर सकते हैं? आपको यह मानना पड़ेगा कि आप अपने 100% बेस्ट वर्जन में नहीं है। हेल्थ साइकोलॉजी के अकॉर्डिंग हम अपनी बॉडी को ग्रांटेड ले कर चल रहे हैं। चाहे वो कमर में दर्द रहने जैसे फिजिकल प्रॉब्लम हो या फिर फोकस ना कर पाने जैसी मेंटल प्रॉब्लम हो, हमें यह तब याद आता है जब हम अचानक से किसी बिमारी के सामने एक्सपोज हो जाते हैं। या उस वर्जन पे वापस लौटने के लिए देर हो चुकी होती है, तो सबसे पहले तो सब कॉन्शस ली आपको यह मानना होगा क्या फिज़िकली वो नहीं है जो होना चाहते हैं। आप को और बेहतर बनाना है और उसके लिए आपको इस को एक्सेप्ट करना होगा ना की आप रिऐलिटी को एक्सेप्ट करके वैसे ही जीते चले जाएं। पहले हमने ये जाना की कैसे आप खुद की बॉडी को ग्रांटेड ले कर चल रहे हैं लेकिन आप अपने दूसरे सेट का इतना ध्यान रखते हैं की उसका कोई अंदाजा ही नहीं है, चाहे उसकी कीमत कम ही क्यों ना हो, लेकिन आपकी बॉडी जिसकी कीमत लगाई ही नहीं जा सकती, उसे आप खराब करते जा रहे हैं। ऐसा तब होता है जब आप अपनी बॉडी को बाहर से देखते हैं। सब कॉन्शस ली अपनी बॉडी को एक घर की तरह देखिये, जो कि सुन्दर होनी चाहिए और बेहतर होनी चाहिए। जब हम अपनी बॉडी को देखते हैं तो चेहरे और ज्यादा से ज्यादा बालों से आगे नहीं देख पाते। लेकिन आपको यह भी ध्यान रखना है क्या आपका फोकस लेवल बेहतर होना चाहिए और वो बाहर से नजर नहीं आएगा? उसके लिए आपको सब कॉन्शस ली? खुद के साथ बैठना होगा, जिसे हम आम भाषा में मेडिटेशन कहते हैं। यही आपकी असली घर यानी की आपकी बॉडी को बेहतर बनाएगा। कैन बी जस्ट लैस आजम यानी की एक दुखी आत्मा एक जितनी खराब होती है। यह बात सुनकर बहुत खराब लगता है, लेकिन यह सच है कि हम सब अंदर से खुद को बहुत बुरा बना कर बैठे है। जेलेसी से लेकर बेवजह की चिंताओं तक हमारा पूरा मन बुरा बन चुका है। जबकि अब मेडिकल ली सुनते आ रहे हैं कि स्ट्रेस लेने से फिजिकल प्रॉब्लम बढ़ती है और उसका हेल्थ पर बहुत खराब इम्पैक्ट पड़ता है। हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता और हम स्ट्रेस लेते जाते हैं और फिर यह हमारी हेल्थ में दिखने लगता है। डॉक्टर जोसेफ मर्फी के रेफरेन्स में कहा जाए तो एक तरह से हम स्ट्रेस लेते लेते एक तरह का स्ट्रेस बन जाते हैं। उन्होंने अपनी किताब पावर ऑफ सब कॉन्सिअस माइंड में इस बात को समझाते हुए बहुत इंट्रेस्टिंग बातें लिखी है जिसे हमारे एग्जाम्पल से बताया जाए तो मान लीजिए कि नीले लोग हेल्थी नहीं होते और रेड लोग हेल्दी होते हैं। हमारा सबकॉन्शियस माइंड एक तालाब है। हर पॉज़िटिव थॉट इसमें एक लाल पानी की ड्रॉप को छोड़ता है और हर नेगेटिव थॉट नीली ड्रॉप को इस तरह से हमारा तालाब नीला होगा। यह लाल यह हमारे थॉट्स पर डिपेंड करता है। लेकिन इस बात का क्रक्स यह है कि ये नीली या लाल ड्रॉप बाद में सब कॉन्शस से हमारी बॉडी तो ऑब्जर्व कर ली जाती है और हम नीले या लाल बन जाते हैं।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल असोसिएशन के अकॉर्डिंग स्ट्रेस या फिर किसी भी तरह की चिंता से हमारी बॉडी में कॉर्टिसोल नाम का एक हार्मोन रिलीज होता है जो की हमारी बॉडी में तुरंत शुगर को बढ़ा देता है और साथ ही बॉडी में सिग्नल देता है कि हम किस तरह की लड़ाई में है। अगर आप सीपीएस बुक को पढ़ेंगे तो आप पाएंगे कि भले ही हम 2023 में जी रहे हैं, लेकिन ह्यूमन बॉडी और उसके ढेर सारे रिएक्शन टाइम से आज तक वैसे के वैसे बने हुए हैं और ज़रा सा स्ट्रेस कॉल को रिलीज करता है। हम फाइट या फ्लाइट के मूड में आते हैं और उसके बाद हमारी बॉडी को लगता है कि ये सर्वाइवल की लड़ाई है और फिर हम इस टेस्ट के इम्पैक्ट देखने को मिलते हैं। यानी की अगर आसान भाषा में कहा जाए तो आपकी बॉडी के लिए जंक फूड से भी ज्यादा खतरनाक है। अब इस तरह के हार्मोन से बचने का यही तरीका है कि आप अपने सबकॉन्शियस को उस मोड में जाने ही ना दें जहाँ वो स्ट्रेस ले रहा है। लेकिन अब आप ये सोचेंगे की हम जीस तरह की दुनिया में है। स्ट्रेस के बिना तो एक भी मिनट काटने वाला नहीं है, लेकिन अगर आप सिर्फ तीन स्टेप्स को फॉलो करिए तो आप अपने स्ट्रेस को कम कर पाएंगे। पहला स्टेप है पॉज़िटिव बने डॉक्टर जोसेफ उर्फी ने लिखा है कि कल की चिंता करने वाला इंसान कल नहीं देख पाता और यह बात सच भी है। अब पॉज़िटिव रहने का मतलब है कि आप हमेशा खुश रहें लेकिन आपको बेवजह दुखी नहीं होना है। जो आप बदल सकते हैं वो आप बदलेंगे ही और जो आप बदल नहीं सकते वो दुखी होकर भी बदला नहीं जा सकता। अपने मन के मूड स्विंग को आपको एक सीधी लाइन पर लाना होगा और यह मैडिटेशन से ही हो सकता है। दूसरा स्टेप पे बिलीव करें जिसतरह की दुनिया हमने बनाई है वो दुनिया भरोसे के लायक नहीं है। लेकिन आप खुद पर भरोसा कर सकते हैं और इस प्रोसेसर में आपको खुद जैसे लोग भी मिल जाएंगे। लेकिन इसके लिए आपको अपने आप पर भरोसा करना होगा कि वो लोग मिलेंगे। हम ओवरथिंकिंग का जाल। बुनकर खुद को स्ट्रेस में डाल देते हैं, लेकिन सिर्फ भरोसे का एक पहलू सब कुछ सुधार सकता है। तीसरे स्टेप में माफ़ करे और भूल जाए। यह सबसे इम्पोर्टेन्ट है क्योंकि 19 9% लोगों की लाइफ में 99% स्ट्रेस इसी बात का है। उसने मुझे ऐसा क्यों कहा? उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? यह तब आता है जब आप दूसरों का अप्रूवल सीख करते हैं और उसके बाद आप के लिए उनकी कही गई चीजों को उनके किए हुए कामों को भूलना मुश्किल हो जाता है। हम पूरा दिन अपने सबकॉन्शियस में उनका ट्रायल चलाते है जब हम खुद को सही और उन्होंने गलत साबित करने की पूरी कोशिश करते हैं। इससे स्ट्रेसफुल हार्मोन निकलते है। सबसे बेहतर यही है की उन्हें माफ़ कीजिए, भूलिए और आगे बढ़िए। आपका मेंटल पीस किसी भी अप्रूवल का मोहताज नहीं है।
आपने देखा होगा कि जो लोग किसी का अप्रूवल नहीं चाहते वो लोग फिज़िकली काफी हेल्दी होते हैं क्योंकि आप माने या ना माने आपके सब कॉन्शियस का कॉन्फिडेन्स आपकी हेल्थ के लिए बहुत मायने रखता है। इसलिए जब हम अंडरकॉन्फिडेंट होते हैं तब हमारे पैर कांपते हैं, जबान थरथराती है इसलिए सबसे पहले खुद को मेडिटेशन के जरिए शांत कीजिए। खुद पर भरोसा कीजिए, पुरानी बातें भूलकर खुद पर ध्यान दीजिए, पर आप सब कॉन्शस ली, खुद को जीत चूके होंगे। आप बात करते हैं स्टेज टू की ऐक्शन आपके ऐक्शन आपकी आदतों का शुरुआती रूप है। अगर हम थॉट्स ऐक्शन और हैबिट्स का हेल्थ और हीलिंग के कॉन्ट्रिब्यूशन का ब्रेकडाउन करें तो थॉट्स के पास 60% हैबिट्स के पास 30% और ऐक्शन के पास सिर्फ 10% है क्योंकि एक्शन्स को बदला जा सकता है। आपने एक ही ऐक्टिविटी में अगर बी काम किया तो आप चाहे तो ठीक 10 मिनट बाद बी को करेक्ट करके सी भी कर सकते हैं, लेकिन बीसीसी तब होगा जब आप सब कॉन्शस लिए वेरी होंगे। आसान भाषा में अगर एक एग्जाम्पल से इसे समझा जाए तो कई बार आपने नोटिस किया होगा कि कोई बात आप बेवजह कह देते हैं या कोई काम आप करना नहीं चाहते, लेकिन आप से हो जाता है आपने सोचा होता है कि आप चिल्लाएंगे नहीं लेकिन कुछ देर बाद आप चिल्लाने लगते है या फिर निगेटिव सेल्फ टॉक करने लग जाते हैं। आप सब कॉन्शस वाला पूरा पाठ कर लें, लेकिन अगर हर सेकंड वेर नहीं रहेंगे तो एक्शन्स को सही नहीं कर पाएंगे। तो उसके लिए आपको क्या करना चाहिए? हर टाइम ध्यान दें कि आप क्या कर रहे हैं और क्या यह उसी के अकॉर्डिंग हो रहा है जो आपने और आपके सब कॉन्शियस ने डिसाइड किया था? अगर नहीं तो दो सेकंड का होल्ड लें। लेकिन खुद को कनेक्ट करके आगे बढ़े। जैसे कोई बैट्समैन ये डिसाइड करके निकले कि उसे कवर ड्राइव नहीं खेलनी है क्योंकि वो उस पर आउट हो जाता है, लेकिन अचानक से उसे कवर ड्राइव की बॉल मिले और वो उस पर कवर ड्राइव लगा दे, तो इसका मतलब यह है कि उसका दिमाग सब कॉन्शस के एजेंडा से नहीं चल रहा है, तो आपको रहना है और इस बात का ध्यान रखें कि भले ही आप कितनी भी मेडिटेशन ये सेल्फ टॉक कर लें। एक सक्शन के टाइम पुरानी आदतें आपको ललचाएंगे जैसे अगर आप चाहें कि मैं किसी की कही गई बात को भूल जाऊंगा या आप चाहें कि मैं आज बेवजह का स्ट्रेस नहीं लूँगा। या किसी भी चीज़ को खाते टाइम में आज के लिए लीज का ध्यान रखूँगा। तीनों ही केसेस में जो पहले से चलता आ रहा है यानी की हैबिट्स का पैटर्न उसे फॉलो करना बहुत आसान लगेगा और आपकी बॉडी चाहे मन के हिसाब से हो या तन के हिसाब से वही रह जाएगी। जहाँ से आपने इस रिकवरी की जर्नी को शुरू किया था तो आपको अपनी सिर्फ टॉप को अपने रूटीन में लाना है। कहा जाता है कि वॉक द टॉक आपको उसे करके दिखाना है। अब हम बात करते है फाइनल स्टेज की और ह्यूमैन इस नथिंग बट आप पैटर्न ऑफ हैबिट्स इस दुनिया का हर कोई इंसान अपनी आदतों से मजबूर है। चाहे वो अच्छी हो या बुरी, उन्हें बदलना इतना आसान नहीं है जैसे बच्चन मैं आपने ये कहानी पढ़ी होगी जिसमें एक डूबते हुए बिच्छू को साधु बचाने जाता है और जितनी बार वो बचाने जाते हैं उतनी बार बिच्छू ने डंक मार देता है। बिच्छू की आदत थी डंक मारना और साधु की आदत थी बचाना। दोनों ही अपनी आदत से मजबूर थे। उसी तरह हम भी है और हमारी आदतों का पूरा किया धरा हमारी बॉडी में नजर आता है। लेकिन आप ये कैसे रिवाइज़ करेंगे कि आपकी आदतें गलत है या सही? इसका सबसे अच्छा तरीका है कि अपनी आंखें बंद करने के बाद आप ग्रैटिट्यूड फील करते हैं। रिग्रेट अगर आपको रिग्रेट्स होते हैं और वो जेन्यूइन है तो आपको थॉट्स और ऐक्शन वाले पुराने पैटर्न को बदलने की जरूरत है।
इस आर्टिकल के देखने के बाद आपका होम वर्क है क्या? कमेंट बॉक्स में अपनी तीन वो आदतें बताएंगे। जॉब बदलने वाले हैं और तीन वो जिन्हें आप बनाए रखने वाले हैं। तो दोस्तों ये थी वो तरीके जिनके जरिए आप अपनी बॉडी को सबकॉन्शियस लेवल पर बेहतर बना सकते हैं और सेम प्रोसेसर को आप अपनी किसी भी बिमारी को ठीक करने के लिए यूज़ करते है क्योंकि सब कॉन्शस के लिए सभी बिमारी एक जैसी हैं और उनका सलूशन भी एक जैसा है। साइकोलॉजी का एक नियम है कि किसी भी चीज़ को बदलने के लिए पहले में फ्लॉस को एक्सेप्ट करना होता है और बॉडी को बेहतर करने के लिए आप अपनी जर्नी भी एक्सेप्टेंस के साथ शुरू कीजिए और उसके बाद उन्हें हैबिट्स तक लाईये बेहतर नींद लीजिए कुछ रहिये खुलकर हंसिए। रोना चाहे तो खुल कर रोये। बॉडी को हील करने का सबसे बड़ा मतलब यही होता है कि जब आप शीशे में खुद को देखें तो आपको देखकर यह लगे कि हाँ, ये इंसान बहुत बेहतर इंसान हैं और मुझे इंसान पसंद है। दुनिया को लेकर हमारी कितने भी रिग्रेट्स हो उनका कोई सलूशन नहीं है। लेकिन खुद को लेकर हमारे कोई भी रिग्रेट नहीं होने चाहिए। डॉक्टर जोसेफ मर्फी ने पावर ऑफ सब कॉन्सिअस माइंड में लिखा है कि हमारी बॉडी लाइफ वर्ड्स है यानी की ये जिंदगी की तरफ बढ़ना चाहती है इसलिए छोटे इतनी जल्दी ठीक हो जाती है। कुल मिलाकर कन्फ्यूजन यही है कि आप इसे जितना बेहतर ढंग से चलाएंगे ये उतना बेहतर ढंग से चलेगा।