" Do It Today " Book Summary in Hindi
मेरा एक दोस्त है जो अपनी 9.00 to 5.00 जॉब करके बिल्कुल फ्रस्ट्रेट हो गया था। उसने मुझसे कहा, यार तुम्हारी तरह मुझे भी ऑनलाइन पैसे कमाने है। मुझे फ्रीलान्सिंग कैसे करते हैं? प्लीज़ सीखा दो। मैंने उसकी सारी प्रोफाइल बनवा दी, एकदम बढ़िया ब्रैंडिंग करवा दी और हर चीज़ सेट अप करने के 2 दिन बाद ही हमारे सामने एक बहुत बड़ी ऑपर्च्युनिटी आयी। उसके सोशल मीडिया पोस्ट डाली थी कि उन्हें कुछ हेल्प की जरूरत है। उन्होंने गूगल फॉर्म डाला जिसमें कुछ असाइनमेंट दिए गए थे। मैंने कहा भाई इसको तुरंत कंप्लीट करके फिर करके भेज दो। मेरे दोस्त ने कहा अरे भाई इसकी डेडलाइन तो देखो एक हफ्ते बाद की है, अभी कोई जल्दी नहीं है। 3 दिन बाद मैंने उससे पूछा यार फॉर्म फील कर दिया। उसने कहा अरे उसमें जो असाइनमेंट था ना उसको मैं इतना तगड़ा करूँगा की वो क्लाइंट मजबूर हो जाए। मुझे हियर करने के लिए बस थोड़ा टाइम लग रहा है लेकिन हो जाएगा। लाइन के 1 घंटे पहले उसने सबमिट कर दिया। उसको लगा की चलो डेडलाइन में भी हो गया। हम काम इतना बढ़िया हो गया। मुझे एक लाइन मिल जाएगा। फिर आया एक ईमेल डी ऐप्लिकेंट थैंक यू फॉर फ्लाइइंग आपका काम बहुत इंप्रेसिव है लेकिन हम ऑलरेडी पांच लोगों को शॉर्टलिस्ट कर चूके हैं तो अनफारचुनेटली हम आपको हर नहीं कर पाएंगे। विश यू ए वेरी बेस्ट मेरा दोस्त बहुत डिसअप्पोइंट हो गया। उसने कहा इतनी मेहनत करने का फायदा क्या है? भाड़ में जाये वगैरह। मेरी जॉब भी अच्छी है।
मैं आपको ये किस्सा इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि मैं चाहता हूँ की आप एक बात बहुत अच्छे से समझ जाएं कि नेशन किस्मों, ड्रीम्स, सन फेल्यर, एवर वेल। अगर मेरा दोस्त प्रोग्राम सिनेट नहीं करता तो शायद वो अपनी जॉब आज इस्केप कर चुका होता लेकिन क्योंकि वो प्रोग्राम ऐसी नेशन में फंस गया, अभी भी वो अपनी वही जॉब कर रहा है। अगर आपको गैरन्टी करना है की आप लाइफ में सक्सेसफुल ना हो या आप कोई बड़ी चीज़ ना करो तो आप प्रो सीनेट करते रहो। लेकिन अगर आपको अपनी लाइफ में अगर कुछ भी मीनिंगफुल करना है तो आज की बुक आपके लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट होने वाली है। बुक डू इट टुडे डॉक्टर ऐसी नेशन को बिट करने के लिए वन ऑफ थे। बेस्ट बुक्स है, कोई नहीं प्रॉब्लम नहीं है। ये इंसानों को हज़ारों साल से परेशान करती आ रही है। तभी संत कबीर ने कहा था काल करे सो आज कर आज करे सो आप तो पहले समझते की प्रोग्रेस नेशन है क्या? प्रोग्रेस नेशन टाइम वेस्ट करना है की आपको पता है आपको कुछ काम करना है लेकिन आप उसको डिले कर रहे हैं, ये हम सब लोग जानते हैं। कैसा फील होता है? लेकिन हम यह नहीं समझते की प्रोग्रेस इन हम क्यों करते हैं और ये जानना सबसे जरूरी है क्योंकि जब तक हम इसके रूट कॉस्ट तक नहीं पहुँचेंगे, हम उसको अपनी जड़ से नहीं खत्म कर पाएंगे। अमेरिकन साइकोलॉजिकल सोसाइटी जर्नल में डाइअलॉग केरील कोर्स के बारे में स्टडी किया। उन्हें यह पता चला कि सिर्फ एक सिम्प्टम है जिसका रियल कॉस्ट बहुत गहरा होता है जैसे डिप्रेशन, बिलीव्स लो सेल्फ एस्टीम, ऐंगज़ाइइटी या स्ट्रेस। ये कोई छोटी मोटी चीज़ नहीं होती है बल्कि एक सीरियस प्रॉब्लम है। एक बहुत बड़ा साइन है पुअर सेल्फ कंट्रोल का इन्फैक्ट रिसर्चर्स ने इसे अल्कोहल और ड्रग अब्यूज से भी कंपेर किया तो यूश़ूअली हम प्रोग्रेस सीनेट ऐसे काम पे करते हैं। हमको काम करना पसंद नहीं होता है और अगर आपको कोई काम करना पसंद नहीं है, तो इसका सिंपल रीज़न होता है कि आपके पास में उस काम से रिलेटेड कुछ नेगेटिव फीलिंग्स या बिलीव्स अटैच्ड हैं। जैसे हो सकता है कि लैस टाइम आपने पढ़ाई कर रही हो तो आप फेल हो गए हो। ये लास्ट टाइम आपने बहुत मेहनत करी हो तो आपके घरवाले आपको डांटने लगे हो कि तुम गायब हो जाते हो और आपने उसकी वजह से इतना फ्रस्ट्रेशन और मेंटल पेन फील किया की आपको वो काम करने से कुछ एलर्जी टाइप की हो गई। आपको उस काम करने से चिढ़ होने लगी तो हम प्रोग्रेस सीनेट इसलिए करते हैं क्योंकि हमें पता होता है की जब हम काम करना शुरू करेंगे तो ये सारी नेगेटिव फीलिंग्स फिर ऊपर आएँगे। और इन्हीं को दबाने के लिए हम काम करना अवॉइड करते हैं। तो अगर आप ऐसे ही ध्यान से सोचें बहुत सारे काम होते हैं जिसमें आप कभी भी प्रोग्राम सीनेट नहीं करते हो। ऐसा अगर वीडियो गेम्स खेलना है, अपना फेवरेट टीवी सिरीज़ देखना है या पोर्न मास्टरबेशन सिगरेट कुछ भी इस टाइप की चीज़ होती है।
आप उसको जितना जल्दी हो सके करने की कोशिश करते हो तो आप इसके बारे में सोचो कि ऐसा क्यों होता है? यूज़्वली ये चीजें ऐड एक्टिव होती है कि आपके दिमाग में रिलीज करती है। इसीलिए आप उनके पीछे और ज्यादा भागते हो तो आप जीस काम में प्रोग्रेस ऐसी नेशन से स्ट्रगल कर रहे हो, उस काम को आप जितना इंट्रेस्टिंग अपने लिए बना सकते हो जितना आपको वो काम करने में मज़ा है। उतना आपका प्रोग्राम स्टेशन लेवल कम हो जाएगा। अब हो सकता है आप सोच रहे हो की ये प्रैक्टिकल नहीं हैं। मैथ्स को कौन एक्साइटिंग बना सकता है? रीडिंग को कौन एन्जॉय कर सकते हैं? मुझे बहुत बोरिंग लगता है पर यही मैं आपको एक हक बताना चाहता हूँ। आप भले ही उस काम को बहुत एक्साइटिंग ना बना पाओ, लेकिन आप अपना एनवायरनमेंट चेंज कर सकते हो, जो एक बहुत बड़ा ट्रिगर होता है प्रोग्रेस इन एशन सॉल्व करने के लिए तो अगर मैं आपको अपना पर्सनल एग्जाम्पल दू की काफी बार अगर मैं नोटिस करता हूँ कि मैं प्रो फैसिनेट कर रहा हूँ काम करने पे तो मैं अपना फ़ोन साइड में रख कर 1 घंटे का टाइम पर चला लेता हूँ और घर के किसी दूसरे कोने में बैठ के काम करने लगता हूँ। वो बस थोड़े से इन्वाइरनमेंट चेंज की वजह से मुझे प्रोग्राम सीनेट करने का उतना मन ही नहीं करता है। वैसे ही जब मैं कॉलेज में था तो रूम में बैठकर मुझसे पढ़ाई नहीं हो पाती थी और मैं बहुत प्रोग्रेस सीनेट करता था। इसीलिए मैं अपना फ़ोन रूम पे ही छोड़ के सिर्फ कुछ किताब में लेकर लाइब्रेरी ज्यादातर ऑटोमैटिकली वहाँ पे पढ़ाई हो जाती थी। तो ऐसे ही आपको सोचना होगा कि कैसे आप अपने इन्वाइरनमेंट को यूज़ कर सकते हो, एक फिगर बना सकते हो की जैसे ही आप किसी नए एनवायरनमेंट में जाये, आप अपना काम करना शुरू करने लगे। इसके अलावा मैं आपको ऑथर का एक और मैजिक फॉर्मूला बताना चाहता हूँ।
एक ऐसा हक जो ऐक्चूअली में आपकी प्रोग्रेस नेशन को जड़ से खत्म कर सकता है बट प्रॉब्लम यह है कि इस हाथ को सक्सेस्स्फुल्ली अप्लाइ करने के लिए आपको पहले थोड़ा प्रीपेयर करना होगा। कई सालों से ऑथर भी अपनी प्रोग्रेस नेशन की आदत से परेशान थे। उनका कैरिअर बर्बाद होता चला जा रहा था। वो अपनी जॉब में खुश नहीं थे, अपने फिज़िक्स से खुश नहीं थे और ओवरऑल वो अपनी लाइफ में कोई भी चीज़ एन्जॉय नहीं कर रहे थे। जब भी थोड़ा सा उनकी लाइफ में प्रोग्रेस आने लगता था, वो फिर प्रोसीड करने लगते थे। उनका सहारा प्रोग्रेस गायब हो जाता था। बट 2 साल के स्ट्रगल के बाद उन्होंने अपने ऊपर कई एक्सपेरिमेंट करके एक ऐसा सिस्टम बिल्ड किया जिससे उन्होंने प्रोग्रेस नेशन की हैबिट को खत्म कर लिया। ये समे हाथ था जो मेल रॉबिन्स ने अपनी बुक फाइव सेकंड रोल में बताया था की वो बस पांच सेकंड तक काउंट करते थे 5-4-3-2-1 और वो काम करना शुरू कर देते थे फॉर एग्जाम्पल। जब भी उन्हें जिम जाने में आलस आ रहा होता था तो वो पांच का काउंटडाउन शुरू करते थे। वो अपने आप को सोचने का टाइम नहीं देते थे और तुरंत वो अपने जिम के कपड़े पहनने लगते थे और फिर बताते हैं कि जब हम ऐसे काउंट करते हैं तो हमारा दिमाग शॉर्ट सर्किट हो जाता है। पांच सेकंड के अंदर अगर आप काम नहीं करना शुरू करते हैं तो हमारा दिमाग हमें रीज़न देने लगता है कि हमें कोई काम क्यों नहीं करना चाहिए। लेकिन अगर आप पांच सेकंड में तुरंत उठ के अपना काम शुरू करने लगते हैं तो हमारा दिमाग अस्यूम करता है की हाँ, यही काम करना होगा तो आपके अंदर वो नेगेटिव फीलिंग्स नहीं आती है जिसकी वजह से आप प्रोग्राम सीनेट करते हैं। बट ऑथर ने इस फाइव सेकंड रोल को और स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए एक दूसरा सिस्टम भी अपनी लाइफ में इंट्रोड्यूस किया कि वह डेली तीन चीजें करेंगे नंबर वन है अपनी मेंटल टफनेस हर दिन एक्सर्साइज़ करेंगे। पहले वो अपने आप को एक मेंटली वीक पर्सन मानते थे, जो अपने थॉट्स को कंट्रोल नहीं कर पाता है, जो बहुत ज्यादा ओवर थिंग करता रहता है तो इसीलिए उन्होंने पहले अपने माइंड को क्लीन करना शुरू किया। उन्होंने एक ऐसी मेंटल एक्सरसाइज करनी शुरू कर दी जिसके बारे में हम हजारों सालों से सुनते आ रहे है, वो है मैं रिटेंशन।
सेल्फ इंप्रूवमेंट में आप ये चीज़ बहुत बार नोटिस करेंगे कि जो भी लोग सक्सेसफुल होते हैं, वह कई बार मेडिटेशन की बात करते हैं और इसका यही रीज़न है कि यह आप को मेंटली टफ बनाता है। सेकंड चीज़ है अपनी बॉडी को डेली एक्सरसाइज देना जितना आप अपनी बॉडी को स्ट्रॉन्ग बनाते हैं, जितना आप उसको पुश करते हैं। उतना आपका माइंड भी स्ट्रॉन्ग होता जाता है। ऑटोमैटिकली आप प्रोग्रेस नेट करना कम कर देते हैं। थर्ड चीज़ है की आपकी एक सेट ऑफ डेली हैबिट्स होनी चाहिए, जिससे आप अपनी लाइफ अपने कंट्रोल में ला पाए। मेरे हिसाब से छे डेली जो ने अपनी मिरकल मॉर्निंग बुक में बताया था वो हर किसी के लिए बहुत यूज़फुल हो सकता है। उसको मैं अभी स्क्रीन पे डाल दूंगा जिसका आप स्क्रीन शॉट लेके इनको जरूर प्रैक्टिस कर सकते हैं। तो अब ये तीनों स्टेप सुनने में आपको बहुत सिंपल लग रहे होंगे कि मेडिटेशन करो, एक्सरसाइज करो और अपना कोई एक रूटीन बनालो लेकिन आप सोच रहे होंगे की ये प्रोग्राम स्टेशन कैसे दूर करेगा? कल इसके लिए ऑथर कहते है की एक प्रोडक्टिव लाइफ जीना बहुत आसान काम नहीं है। इसके लिए आपको मेहनत करनी होती है और हर चीज़ टेक्नोलॉजी या हाथ से सॉल्व नहीं हो पाती है।
पॉइंट ये है कि जब आप इस तरह के सिस्टम अपनी लाइफ में बनाते हैं और इसको फाइव सेकंड रोल के साथ अप्लाई करते हैं तो आपका प्रोग्रेस नेशनल लेवल धीरे धीरे कम होता चला जाता है। प्रोक्रैस्टिनेशन एक लॉन्ग टर्म हाँ बट ये एक ऐसी चीज़ है जब जिंदगी भर करते आ रहे हैं तो ये 1 दिन में नहीं खत्म होगा। इसीलिए अगर आप इन तीनों हैबिट्स को सिम्पली रोज़ करते रहेंगे तो धीरे धीरे आपके अंदर डिसिप्लिन आने लगेगा। जैसे किसी भी वोर में फाइट करने से पहले उसको बहुत ज्यादा ट्रेनिंग करनी पड़ती है। अपने आप को स्ट्रांग बनाना पड़ता है ताकि वो फील्ड पर जाकर वीक ना हो। जहाँ से ऑथर कहते हैं की जहाँ अपना ब्रेन और अपनी बॉडी हर रोज़ स्ट्रांग बनाते हैं तो हम वो और रेडी होते हैं। जब प्रोक्रैस्टिनेशन हमारे ऊपर अटैक करता है तो हम उस से लड़ पाते हैं। अब मैं आपको एक और बहुत इम्पोर्टेन्ट चीज़ बताना चाहता हूँ अगर आप प्रोग्राम को बीट करना चाहते हैं, कई बार होता है की आप काम करने बैठ तो जाते हों लेकिन वो फोकस नहीं कर पाते हो। आपको बहुत टाइम लगता है शुरू करने में और आप ईजिली डिस्ट्रैक्ट हो जाते हो। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में ग्लोरिया मार्ग की रिसर्च से यह पता चला की जब हम किसी भी काम में इंटरप्ट हो जाते हैं तो आपको अपने मेन काम में वापस आके फुल फोकस लगाने में 25 मिनट तक लग जाते हैं। इसको बोलते हैं एक स्विचिंग कॉस्ट तो अगर आप एक काम से दूसरे काम में स्विच करते हो तो कुछ टाइम होता है जीस टाइम आपका दिमाग बिल्कुल फोकस नहीं हो पाता है। तो इसी तरीके से अगर आप काम के बीच में अपने आप को बार बार करते रहोगे तो आप प्रोग्रेस इन एशन तो करोगे ही करोगे क्योंकि आपके दिमाग थक जाता है। बार बार काम स्विच करके अक्सर आपने नोटिस किया होगा की काम के बीच में एक दम से आपका फ़ोन बजता है और आप उसको चेक कर लेते हो। फिर आप यूट्यूब खोल लेते हो, आप इंस्टाग्राम खोल लेते हो और वहीं पे आप खो जाते हो और पता ही नहीं चलता है की आपका 30 मिनट चला गया। इस का एक बहुत सिंपल सल्यूशन है की आपको एक बार में एक ही काम करना है। तो अगर आप लिख रहे हो तो आपके पास और कोई चीज़ होनी ही नहीं चाहिए। लिखने के अलावा आप अपने कंप्यूटर में सारे टाइप्स बंद कर दो। सारे नोटिफिकेशन बंद कर दो ऐंड सिर्फ नोटपैड खोल के लिखने लगे, वैसे ही अगर आप पढ़ाई कर रहे हो किताबों से तो आपकी डेस्क किताब के अलावा और कुछ होना ही नहीं चाहिए। आपका फ़ोन, लैपटॉप हर चीज़ आप से एकदम दूर होनी चाहिए। आप एक टाइमर लगा लो 25 मिनट का 50 मिनट का जितना भी आप कर सकते हो और उस टाइम फुल फोकस दो, सिर्फ वही काम पे मन नहीं भी कर रहा हो तब भी अपने आप को पुश करने की कोशिश करो। और फिर जब आपका टाइम खत्म हो जाए तब ऑथर की एडवाइस है। क्या आपको अच्छे से एक क्वालिटी ब्रेक लेना चाहिए? ज्यादातर प्रोग्राम सीनेटर्स की प्रॉब्लम ये होती है की वो कभी गिल्ड फ्री होकर ब्रेक लेते ही नहीं है। वो कभी अपनी लाइफ एन्जॉय नहीं कर पाते है। लोग अपने इम्पोर्टेन्ट काम को अवॉर्ड करते हैं, कुछ मज़े की चीज़ करके। लेकिन वो मज़े की चीज़ करते हुए भी उनको होता है कि मैं अपना मेन काम अवॉर्ड कर रहा हूँ तो वो ना ही ढंग से काम कर पाते है, ना ही ढंग से ब्रेक ले पाते हैं और ये एक गैस लुक क्रिएट कर देता है और फिर कहते है की एक प्रोग्रेसिव कभी भी अपनी लाइफ में खुश नहीं हो पाता है।
पहले अपने कामसेन सैटिस्फाइड होता है। फिर उस काम पे प्रोग्राम ऐसी नेट करके जो ऐक्टिविटीज़ करता है उससे भी उसको गिलटी होता है। इसके लिए ऑथर कहते हैं कि आपको अपने वर्ग और फन ऐक्टिविटीज़ को बिल्कुल अलग रखना चाहिए। तो अगर आप काम कर रहे हो तो बीच बीच में ब्रेक लेने के लिए अपना फ़ोन मत यूज़ करो। बस अपने ब्रेक में रिलैक्स करो। ढंग से काम पे वापस आओ ऐंड जब आप अपना काम या पढ़ाई जो भी आप करो वो खत्म कर दो तो बिल्कुल खत्म कर दो उसको अपने दिमाग से हटा दो और फिर अपनी लाइफ एन्जॉय करो। अगर आपको फ़ोन यूज़ करना है, अगर आपको टीवी देखना है तो ढंग से देखो और उसको एन्जॉय करो ताकि अगली बार जब आप काम करो तो आप अपना फोकस ढंग से वापस लाओ। अपने माइंड को ढंग से रिलैक्स करने के लिए अपनी लाइफ को एन्जॉय करना इम्पोर्टेन्ट है ऑदर के हिसाब से अपनी लाइफ में एक वर्क और प्ले का बैंलेंस क्रिएट करना एक बहुत इफेक्टिव तरीका है प्रोग्रेस नेशन को कम कर देने का।
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