" The Power of Now " Book Summary in Hindi
हम सभी को प्यार और सिक्योरिटी की जरूरत है। मगर हम ये भूल जाते हैं कि हमारे अंदर भी एक खजाना छुपाएँ एक ऐसा खजाना जो हमें कोई और नहीं दे सकता। असली खजाना है कि अपने अंदर की शांति को महसूस करना हम जैसे हैं वैसे खुद को एक्सेप्ट करे। अपने असली नेचर के साथ खुश रहें। पास की रिग्रेट और फ्यूचर की चिंता से दूर अपने आज मैं खुश नहीं। अगर हम अपने आज मैं खुश है तो हम वाकई में खुश हैं। एक बार जब ये खजाना हमें मिल जायेगा तो फिर कभी हम बाहरी दुनिया की झूठी चमक दमक में नहीं आएँगे। हम अपने ने ही इतने मस्त रहेंगे। ये दुनिया हमें एक दम अलग दिखेंगी। फिरना बीते हुए कल का दुख होना और ना ही आने वाले कल की चिंता रहेंगी। असली गोल्ड हमारे अंदर है। बस एक बार हमें अंदर झांककर देखना। क्या कभी हमने सोचा है की कार रेसिंग या माउंटेन क्लाइम्बिंग जैसी ऐक्टिविटीज लोगों को पसंद आती क्यों हैं? वो इसीलिए है क्योंकि इन लोगों को लगता है ऐसा करने से वो प्रेज़ेंट मूवमेंट में आ जाते है। बहुत से लोगों को प्रेसेंट मोमेंट फील करने के लिए कोई पर्टिकुलर ऐक्टिविटी करनी पड़ती। यही वजह है कि अक्सर लोग खुश रहने के मौके ढूंढ़ते हैं। एक बार एक मास्टर ने अपने स्टूडेंट से पूछा, इस वक्त किस चीज़ की कमी है? स्टूडेंट सोच में पड़ गए कि सवाल का जवाब क्या दे? सब शांत होकर सोच रहे थे। बस यही वो चीज़ थी जो शोर में नहीं मिली थी। यानी शांति किसी को भी शांत करने के लिए बहुत अच्छी है। कहने का मतलब है कि हमें अपने अंदर की शांति और खूबसूरती महसूस करनी है, जिसके लिए हमें ऊंचे पहाड़ों पर जाने की जरूरत नहीं है। काम पर जाते हुए हमने रास्ते में काफी सारे पेड़ देखे होंगे पर हमने इन पेड़ पौधों को शायद ही डिटेल में कभी नोटिस किया होगा, क्योंकि अक्सर हम अपनी ही परेशानियों में खोए रहते हैं। अगर हो सके तो हमें भी कभी इन पेड़ों को डिटेल में नोटिस करना चाहिए। रिलैक्स करना चाहिए और हमे कुछ डिफरेंट फील होगा और वो डिफरेन्स है। नाउ नेक्स्ट पॉइंट कहता है की एक्सेप्ट के रिलेशनशिप सास इट इस एक आदमी और एक औरत मिलते हैं और दोनों में प्यार हो जाता है। उस औरत से मिलने के बाद उस आदमी को एक कम्प्लीटनेस का एहसास होता है। जब भी वो उससे मिलता था उसे लगता जैसे दुनिया में उन दोनों के अलावा कोई और है ही नहीं। उसे फील होता था जैसे दोनों एक हो गयी और वो औरत भी उस आदमी के प्यार में पूरी तरह से डूबी हुई थी। उसे अपने स्पेशल होने का एहसास होता था। उन दोनों का ये रिश्ता एकदम पर्फेक्ट फिर वो आदमी धीरे धीरे डिमान्डिंग होने लगा तो उस औरत को लेकर बहुत पोजेसिव हो गया। उसे डर था कि कहीं वह उसे छोड़कर चली ना जाये। वो औरत भी फील करने लगे। वो उसे ब्लैकमेल करती थी, उस पर इलज़ाम लगाती थी। रिलेशनशिप की शुरुआत में दोनों में बड़ा प्यार था, मगर थोड़े दिनों के बाद ही उनके रिश्ते में दरार आने लगी। अब उनके बीच लव हेट रिलेशनशिप था। कभी दोनों एक दूसरे के बेहद करीब आ जाते हैं और कभी एक दूसरे से नफरत करने लगते हैं। वो दोनों कभी एक दूसरे को हर्ट करते और कभी दुबारा से एक हो जाते हैं और इसी वजह से उनका रिलेशनशिप खुशी से ज्यादा तकलीफ देने लग गया। उन के बीच खुशियों की जगह अब दर्द भर गया था और 1 दिन फाइनली दोनों के बीच में ब्रेक हो गया। तो सवाल ये है की कभी उनके बीच में प्यार भी था या नहीं? या सिर्फ ये एक अट्रैक्शन थी? दोनों को एक दूसरे के सिर्फ एक डिक्शन थी जैसे अक्सर लोगों को किसी फूड, अल्कोहल या ड्रग्स से होती है। हम जब किसी की तरफ इसलिए अट्रैक्ट होते हैं ताकि हम अपने खालीपन को भर पाए तो उन रिलेशनशिप्स का एंड ऐसे ही होता है और एक बात एक्साइटमेंट खत्म होने के बाद जो दो खाता है उसका कोई एंडिंग नहीं होता। मगर अब सवाल यह है कि एक परफेक्ट रिलेशनशिप बनाया कैसे जाये? हम किसी के साथ कैसे हमेशा खुश रहें। इसका एक सिंपल आन्सर ये है कि जिसे भी हम चाहते हैं उसे पूरे दिल से एक्सेप्ट करे। उसकी कमियों और खूबियों के साथ उसे चेंज करने की कोशिश ना करे। उसे वैसे ही अपना जैसे उसका ट्रू नेचर है। जब हम किसी को बदलने की कोशिश करते हैं तो वही सारे दर्द की वजह है। इसलिए किसी को भी एक्सेप्ट करना हमें और ज्यादा प्यार और खुशी के साथ एक पीसफुल लाइफ जीने के लिए इंस्पायर करती है। मगर सवाल ये है कि सच्चा प्यार आखिर होता कब है? अगर कोई अकेला है बिना किसी पार्टनर के तो क्या उसे सच्चा प्यार नहीं मिलेगा? क्या प्यार किसी दूसरे से ही हो सकता है और खुद से नहीं हो सकता। हम सब के अंदर खुद के लिए एक सच्चा प्यार छुपाये हमें बाहर ढूंढने की जरूरत नहीं है।
टू लव के माइन है कि अपने आज मैं जीना अपने आप से और अपने आसपास की हर चीज़ को प्यार करना ही लव है और ये बात सच है क्योंकि सच्चा प्यार कभी छोड़कर नहीं जाता और ना ही नफरत में बदलता है। सच्चा प्यार हमेशा के लिए जिंदा है। नेक्स्ट पॉइंट कहता है थे मीनिंग ऑफ सरेन्डर बालू सर सिलिंडर का मतलब है कि जो भी हो रहा है, हम उसे बिना किसी डर के एक्सेप्ट करे। यानी हमारी लाइक जैसे अभी है, वैसे उसे एक्सेप्ट करो। जब कुछ भी गलत होने लगे तो पहले हमें उसे एक्सेप्ट करना पड़ेगा। उस वक्त जो भी सिचुएशन है, हम उसका सलूशन बिना नेगेटिव हुए भी निकाल सकते हैं। जैसे कि मानलो हम कीचड़ में फंस गए। अब यहाँ सिलिंडर करने का ये मतलब नहीं है कि हम कीचड़ में ही फंसे रहे। बल्कि यह मतलब है कि हम इस सिचुएशन को इग्नोर ना करें। हम रिऐलिटी को एक्सेप्ट करे की हाँ, हम कीचड़ में फंस गए और अब हमें बाहर निकलना है। मगर इसके लिए किसी और को ब्लेम करना या गुस्सा करना गलत बात होगी, क्योंकि ऐसा करके हमें कुछ फायदा नहीं होने वाला है। आप इमेजिन करो कि आप नाइट में वो क्लीनिक ले हो, बाहर काफी कोरा है और किसी वजह से आपको क्लियर नहीं दिख रहा है, लेकिन आपके पास एक पॉवरफुल फ्लैश्लाइट है, जिसकी हेल्प से हम आगे बढ़ सकते हैं। ठीक यही सिचुएशन हमारी लाइफ में भी है। ये घना कोहरा हमारी लाइफ की डिफिकल्ट सिचुएशन्स है। मगर जो हमारे हाथ में फ्लैश लाइट है वो है हमारा कॉन्शियस, जिससे हम अपना रास्ता बनाते हुए आगे बढ़ सकते हैं। एक पावरफुल लाइट के साथ चलना बहुत आसान हो जाता है। ये हमें चलने में हेल्प करती है और हम अपनी नाइट वॉक एन्जॉय कर सकते हैं। जब हम अपने सिचुएशन के साथ सरेंडर करने से इनकार कर देते हैं तो ये दुनिया हमें नेगेटिव लगने लगती है। हमे हर टाइम डर लगने लगता है कि अब आगे क्या होगा? क्या होगा अगर कोई डिज़ास्टर हो जाए अगर कोई बुरी मुसीबत आ जाए। हम हर किसी पर शक करने लगते हैं। हमको खुद पर यकीन नहीं रहता और इसका इफेक्ट हमारी फिजिकल बॉडी पे भी पड़ता है। हमारी बॉडी वीक हो जाती है। हमें लगता है कि हम बीमार हो गए हैं। जब भी हमें लगे कि हम इस कोहरे में फंस रहे हैं तो इस सिचुएशन में हमें याद रखना है की एक पॉवरफुल फ्लैश्लाइट हमारे अंदर ही मौजूद हैं।
आप शायद ये बोलो की लाइफ में इतनी चीज़े होती है। लेकिन हम कहेंगे कि सिर्फ उसी पर फोकस करो, जो अभी उस वक्त आपके सामने है यानी आपके आज पर फोकस करो। उसे हर हाल में सरेंडर कर दो और एक्सेप्ट करो और फिर उसके बाद ऐक्शन सरेंडर का ऑपोजिट होता है। रेजिस्टेन्स यानी ब्लेम करना, रिग्रेट करना और ये सारी फीलिंग्स में और भी नेगेटिव बनाते हैं। इससे बेटर है कि हम इन पर कंट्रोल करें। नेगेटिव इमोशन्स को अपने आसपास ना आने दें। पूरी तरह कॉन्शस होने पर ही हम बेस्ट ऑप्शन सोच पाते। हो सकता है कि इस इग्ज़ैक्ट मूवमेंट पर भी आप बहुत प्रॉब्लम्स के कीचड़ में फंसे होंगे और जिसकी वजह से शायद हम अपने सोसाइटी को ब्लेम कर रहे हैं। हम अपने उन सारे गलत डिसिशन्स के बारे में सोच रहे हैं, जो हमारी लाइफ के लिए हम सोच रहे होंगे की यही लाइफ अब हमारा कुछ नहीं हो सकता है। हमारी प्रॉब्लम्स भी दूर नहीं हो सकती, लेकिन 1 मिनट रुको। पहले एक दीप ब्रेक लो। हमें सरेंडर करने की जरूरत है। खुद को हमें बोलना है की हाँ, मैं कीचड़ में फंसा हूँ और जब तक मैं इसे बाहर नहीं निकलूंगा, मैं हार नहीं मानूंगा। फिर हम अपने पैर हिलाते हैं और सीधे खड़े होने की कोशिश करते हैं। बस फिर हम कीचड़ से बाहर निकल जाते हैं और याद रखो सिलिंडर करना एक लूँ सर होने की निशानी नहीं है। दोस्तों समरी में हमने देखा कि मैक्सिमम लोग खुद के थॉट से ही खुद को दुखी करते हैं। इसलिए हमारे पास चार सलूशन है। माइंड को शांत करने के लिए पहला हैं। डोंट कंप्लीट सेकंड है यू आर नॉट योर माइन्ड थर्ड हैं एक्सेप्ट के वेइट और फोर्थ ऑफ थे मीनिंग ऑफ सरेन्डर जिसका मतलब है कि सिचुएशन में सरेंडर करना लोगों को लग सकता है की ये इंसान तो लूँ सर है, लेकिन इसका ऐक्चुअल मीनिंग है कि हमें सिचुएशन के साथ पीस का लेना है और फिर उसके बाद ऐक्शन लेना है तो उसे ये सारी बातें हमनें द पावर ऑफ ना उसे बताई है|
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