" Discipline is Destiny " Book Summary in Hindi
सक्सेस के लिए आपको आसान और कमजोर चीजों को करने की बजाय मुश्किल कामों को चुनना चाहिए। जब तक हमारे पास सेल्फ डिसिप्लीन की क्वालिटी नहीं होती है, तब तक टेक्नोलॉजी या सक्सेस जैसी चीजें हमे फ्री महसूस करवाने के बावजूद उलझाए रखेंगी। अपनी बॉडी के बारे में सिर्फ डिस्प्ले होने का मतलब है अपने पेशेंट्स को बढ़ाना और लंबे टाइम के लिए अपनी हेल्थ में इन्वेस्ट करना ताकि आप लंबे टाइम तक ज्यादा हेल्थी रह सके। में आपका फिरसे स्वागत है। आज हम डिसिप्लिन इस डेस्टिनी द पावर ऑफ सेल्फ कंट्रोल इस बुक के बारे में जानने वाले हैं, जिसे रायन हॉलिडे ने लिखा है। किसी भी चीज़ को मास्टर करने के लिए सबसे पहले खुद अपनी फीलिंग ज़ थॉट्स और ऐक्शन को मास्टर करने की जरूरत होती है। बाउनड्रीज़ और कंट्रोल के बिना हम अपनी पूरी एबिलिटी को हासिल नहीं कर सकते और जो हमने हासिल किया है उसे खतरे में डालने का रिस्क उठाते हैं। आज के टाइम में सेल्फ कंट्रोल का होना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि लोग बहुत ही आसानी से भटक जाते हैं और खुद पर कंट्रोल रखें। बिना खुद के लिए बुरी फैसले लेते हैं। या फिर ऐसे गलत कदम उठाते हैं जो उनकी लाइफ में गलत रिज़ल्ट लेकर आते हैं। इससे बचने के लिए ऑथोराइस किताब के जरिये सेल्फ डिसिप्लीन और बैलेंस की पावर सिखाते है। लाइफ में डिसिप्लिन के बिना आप सक्सेसफुल नहीं हो सकते और अगर आप डिसिप्लिन होकर सेल्फ कंट्रोल की पावर का इस्तेमाल करना सीख जाते है तो आसानी से अपनी लाइफ मैं सक्सेसफुल हो सकते हैं। किताब को अच्छे से समझने के लिए हम इस किताब को पांच में डिस्कस करने जा रही है। तो चलिए शुरू करते हैं सबसे पहले यह जानते हैं कि कैसे सिर्फ डिसिप्लिन हमें ग्रेटनेस की ओर ले जाता है। बहुत टाइम पहले हर जिससे माइथोलॉजी में ए ग्रेट हीरो के रूप में जाना जाता है, पहाड़ियों में ट्रैवल कर रहे थे। जब वो एक चौराहे पर आये तो रास्ते में एक देवी मिली जिन्होंने उन्हें लग्जरियस लाइफ का आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि वो सब कुछ हासिल करेंगे जो उनका दिल चाहता है और कभी भी अपनी लाइफ में डर, दर्द या दुख के पल को महसूस नहीं करेंगे। दूसरे रास्ते पर उन्हें दूसरी देवी ने एक और आशीर्वाद दिया जो पहले वाले आशीर्वाद से कम शानदार था। उस देवी ने उन्हें हर्कुलस अवॉर्ड दिलाने का भी आशीर्वाद दिया, लेकिन सिर्फ तभी जब वो इसके लिए खुद मेहनत करेंगे। देवी ने कहा, इस रास्ते की जर्नी लंबी होगी, जिसमें कड़ी मेहनत कनसिसटेन्सी सैक्रिफ़ाइस होगी।
अब इस बात को ध्यान में रखते हुए जहाँ बदलाव की जरूरत हो वहाँ बदलाव करें और अपनी लाइफ में गोल के लिए जरूरी काम को करना शुरू करें। इस तरह आप अपने सेल्फ डिसिप्लीन को बनाए रखेंगे। अब ये समझना जरूरी है कि इससे पहले की ये आप पर कंट्रोल करें। आप अपनी बॉडी पर कंट्रोल रखें। लोग कह रहे हैं अपनी टाइम के सबसे महान बेसबॉल प्लेयर में से एक थे। उन्होंने 23 ग्रैंडस्लैम, 495 होम लोन के साथ कई इंटरनेशनल रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने पांच सालों से ज्यादा टाइम तक अपने नाम को बनाए रखा था, लेकिन लुई कल्चरल ऐथलीट नहीं थे। बचपन में उनका वजन ज्यादा था और फिर भी नहीं रहते थे। ऐसे में आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा, ऐसा इंसान एक ग्रिड एथलीट प्लेयर कैसे बन सकता है? इसका जवाब बहुत ही सीधा है। उन्होंने दूसरे ऐवरेज प्लेयर के कम्पेरिज़न में मुश्किल ट्रेनिंग को टाइम पर डिसिप्लिन से सालों तक किया। उन्होंने अपने गेम के अकॉर्डिंग सिंपल से वर्कआउट और डाइट प्लान को कॉन्स्टेंट ली फॉलो किया ताकि वो अपने आप को फिजिकली फिट और स्ट्रॉन्ग बना सके। अपनी बॉडी के बारे में सिर्फ डिस्प्ले होने का मतलब है अपने पेशेंट्स को बढ़ाना और लंबे टाइम के लिए अपनी हेल्थ में इन्वेस्ट करना ताकि आप लंबे टाइम तक ज्यादा हेल्थी रह सके। इससे आपके एबिलिटी बढ़ती है। आलस और डिप्रेशन कम होता है। और आप मुश्किल सिचुएशन का सामना करने की कैपेबल बनने लगेंगे। ऐसे में छोटे छोटे बदलाव है जो आप अपनी फिजिकल फिटनेस के लिए कर सकते हैं ताकि आप अपनी लाइफ का गेम जीतने से पहले अपनी हेल्थ को जीत सके। सबसे पहले हर रोज़ कुछ टाइम पसीना बहाने और थका देने वाली ऐक्टिविटीज़ को करें। इसके लिए आप रनिंग, वेटलिफ्टिंग, बास्केटबॉल खेलना, लॉन्ग वॉक, मैराथॉन या कोई और आउटडोर खेल खेल सकते हैं। आप इस तरह की ऐक्टिविटीज में से अपनी मर्जी से कुछ भी चुन सकते हैं लेकिन यह बात जरूर ध्यान रखें कि वो ऐक्टिविटीज़ फिज़िकली चैलेंजिंग और थकाने वाली होनी चाहिए। और थोड़ा अनकम्फर्टेबल भी होना चाहिए। अनकंफर्टेबल चीज़ो को करके आप अपने आप को कंफर्ट से बाहर निकालते हुए अपने ऊपर कंट्रोल को बेहतर बना सकते हैं। हो सकता है कि कुछ लोगों का लाइफ स्टाइल देखकर आपको लगता हो की सक्सेस का मतलब ऐशो आराम से लाइफ को जीना है या इसका मतलब स्ट्रगल करना तो बिलकुल भी नहीं है लेकिन सच में ऐसा नहीं है। सक्सेस के लिए आपको आसान और कमजोर चीजों को करने की बजाय मुश्किल कामों को चुनना चाहिए। अपने आप पर हार्ड होने से आप खुद को स्ट्रांग बना पाएंगे। इसलिए खुद आप छोटे गोल को भी अचीव नहीं कर पाएंगे और उसे पाना भी मुश्किल लग सकता है।
फिजिकल स्ट्रांग बनने के साथ आप अपनी बिल पावर को भी बड़ा बना रहे होते हैं। आप ये समझते हैं कि कैसे अपने मन को शांत करने के लिए अपने फिजिकल डिसिप्लिन को बनाये। जब आप फिजिकल लेवल पर सिर्फ डिसिप्लिन रहने की प्रैक्टिस करते हैं तो अपने दिमाग को अपनी पूरी एबिलिटी से काम करने के लिए मजबूत बनाते हैं। ये सुनने में काफी आसान लगता है, लेकिन यह इतना ज्यादा भी आसान नहीं है। न्यूरोसाइंटिस्ट बैरेट ने बताया है कि दिमाग का फंक्शन काफी हद तक बॉडी की हेल्थ पर डिपेंड करता है। आग्रा फिजिकल लेवल पर कमजोर है। तो आपका दिमाग भी सुस्ती से काम करेगा। इसलिए अपने आप को फिसिकली स्ट्रांग रखना और दिमाग को कंट्रोल में रखना जरूरी है। इसके लिए आप जो सुनते हैं और करते हैं, उस पर कंट्रोल रखें। अगला स्टेप अपने दिमाग को बैलेंस बनाना सिखाए। देखेंगे कन्फ्यूजन के टाइम आप कैसा महसूस करते हैं, कैसा सोचते हैं और कैसे रिस्पॉन्स करते हैं? क्योंकि ऐसे सिचुएशन में लिए गए डिसिशन से हमारी लाइफ इफेक्ट होती है। इससे रिलेटेड एक आइडल कोर्ट भी है की कम इन कैरीऑन यानी कि शांत रहो और आगे बढ़ो। हर एक सिचुएशन और आपके रिस्पॉन्स के बीच एक छोटा सा पल होता है। आप या तो इसका इस्तेमाल सोचने खुद के थॉट्स को ऑर्गनाइज करने, ये ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने के लिए कर सकते हैं या बिना एफर्ट किये इस तरह की ऐक्टिविटीज़ जैसे नाराज होना और अपने आप को या किसी दूसरे को ब्लेम देखकर हालात के सामने सरेंडर कर सकते हैं। याद रखें बुरी सिचुएशन को नेगेटिव रिस्पॉन्स के जरिये ठीक नहीं किया जा सकता। ऐसा करने से वो और ज्यादा खराब हो सकती है। इसलिए रिस्पॉन्स करने से पहले अपने पेशेंट्स के उस छोटे से पल को सुधारें। अपने आप से पूछें कि क्या आप जो महसूस कर रहे हैं वो वास्तव में सच है या सिचुएशन को ठीक करने का कोई दूसरा ऑप्शन है? डर या गुस्से को अपने दिमाग पर हावी ना होने दे। अपने दिमाग को डिसिप्लिन करने का एक और पहलू खुद को फोकस करने के लिए ट्रेन करना है। आप इसके लिए मेथड का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए जीस चीज़ पर या जीस काम पर आप फोकस करना चाहते हैं उससे रिलेटेड म्यूसिक को कम आवाज में पले करके बैकग्राउंड म्यूजिक की तरह सुनते रहे। थोड़ा सेल्फिश बने और जब चीजें आपके कंट्रोल से बाहर होती है तो सिर्फ जिन चीजों पर कंट्रोल किया जा सकता है, उनका इस्तेमाल करते हुए सिचुएशन को सुधारने की कोशिश करने और आप से पूरी तरह से डिग्री भी हो सकते हैं। लेकिन जैसे जैसे आप सच्चाई की अपने रास्ते पर आगे बढ़ते हैं, आप दयालु हो जाएंगे और दूसरे लोगों की मदद करने के लिए ज्यादा इच्छुक होंगे। आपको एहसास होगा कि हर कोई अपनी अपनी जगह ठीक कर रहा है। आप या न्याय करने के लिए नहीं आए हैं। आप उन्हें स्वीकार करने, उन्हें खुश करने और उन्हें बेहतर होने के लिए इंस्पायर करने के लिए है की कहानी इसका एक अच्छा एग्जाम्पल है।
एक सुबह समुद्र के किनारे घूम रहे थे। उन्हें एक आदमी दिखा जो अपने आप को किसी गलती के लिए दोष दे रहा था। क्लिंटन रुक गए और आदमी से बोले आप और आपके द्वारा की गई गलत काम में अंतर है। आप अंदर से तो अच्छे हैं, उस काम को छोड़ दें और अच्छे बन जाए। आज से ही सेल्फ डिसिप्लीन इंसान की तरह जीना शुरू कर दिए। उस गलत काम की तरफ ले जाने वाले हर काम से बचें और अच्छे काम को करना शुरू कर दें। असल में हम सब अपने आप से बहुत ज्यादा उम्मीद रखते हैं ताकि अपनी लिमिट्स को चैलेंज कर के अच्छा परफॉर्म कर सकें। इसलिए अक्सर हम अपने आपको पीछे खींचने वाले बहाने एक्सेप्ट नहीं करने देते। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि जब आप गडबड करते हैं तो आपको खुद को चोट पहुंचानी चाहिए या नफरत करनी चाहिए। दो लोग ऐसा करते हैं और वो हार मान चूके होते हैं। अपने दोस्त के बारे में सोचें अगर आप किसी अपने को ऐसी सिचुएशन में पाते हैं तो क्या आप उन्हें ये बताते हैं कि उन्होंने क्या गलत कदम उठाया है या फिर आगे बेहतर कदम उठाकर सिचुएशन को अच्छा करने के लिए मोटिवेट करते शायद दूसरा तरीका अपनाते हैं? इसके साथ ही अपने उन्हें समझाने की कोशिश की होगी की ये दुनिया का एंड नहीं है। आप भी इसी तरह अपने खुद के दोस्त बने। परेशानी में आगे बढ़ने के लिए अपने आप को मोटीवेट करे, अपने आप से प्यार करे, सपोर्ट करे और इसके साथ ही अपनी किस्मत खुद डिसाइड करें। हम इसे हर कोई सेल्फ डिसिप्लीन बन सकता है। बस ध्यान रखें सेल्फ डिसिप्लीन आपके एक्शन्स, थॉट्स और फीलिंग को कंट्रोल में रखते हुए अपने गोल की दिशा में यूज़ करने से रिलेटेड है। ऐसा करने से अपना सिर्फ ज्यादा प्रोडक्टिव बन सकते हैं बल्कि लंबे टाइम के लिए खुश और हेल्थी भी रह सकते हैं। अगर आप फेल होते हैं तो आप दुबारा से बाउंस बेक कर लेंगे। आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि आप अपना सबसे बेहतर परफॉर्म कर सकते हैं और आपके पास लाइफ के चैलेंजेस की सामना करने की कैपेबिलिटी है। इसका पता चलने के बाद गिरने पर खुद को दोबारा से उठाएं।